दोस्तों उत्तर प्रदेश बोर्ड और प्रदेश के अन्य बोर्ड में कबीर के ऊपर कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न जो बने उनमें सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले प्रश्नों यही प्रश्न घूम-घूम कर आता है इसे पूछने का मतलब क्या है?यही की कबीर हम जानें और उनकी शिक्षाओं को अनुसरण करें। कबीर हिंदी निर्गुण भक्ति शाखा के एक महान संत कवि हुए कबीर की भाषा खिचड़ी भाषा थी कबीर 1398 इनका पालन पोषण नीरू और नीम नमक दो दम पत्तियां ने किया था। ईस्वी में वाराणसी में पैदा हुए अपने अंदाज में समाज को शिक्षा दी कबीर स्वयं कहते थे। वह पढ़े-लिखे नहीं है वह जो दुनिया से सीखे वही दुनिया को सिखाएं।
कबीर दास की सामाजिक और समाज में फैले हुए बुराइयों के ऊपर किए हुए तीखे व्यंग्य आज भी हिंदी साहित्य में सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले प्रश्नों में से एक है उन्होंने समाज की हर वर्ग में फैली हुई बुराइयों के ऊपर अपनी विचार व्यंग्यात्मक रूप में रखें कबीर स्वयं कहते थे वह ना हिंदू है ना मुसलमान है वह केवल इंसान है उन्होंने हिंदू और मुसलमान दोनों के धर्म में फैले हुए बुराइयों ,कर्मकांड प्रहार क्या।
पशु बलि का विरोध-
कबीर पशुपालन बाली के विरोधी थे कबीर मानते थे कि पशु पक्षी भी हमारी तरह ही जीने का अधिकार रखते हैं कबीर के अनुसार पशु भी ईश्वर का ही है रूप है कबीर ने पशु बलि का विरोध करते हुए समाज को सिखाते हुए कहा है।
बकरी पति खात है जाकी काढ़ी खाल
जे नर बकरी खात है ताकि कौन हवाल।
कर्मकांड का विरोध-
कबीर कर्मकांड का भी विरोध करते थे कबीर मानते थे ईश्वर कर्मकांड से नहीं बल्कि इंसान के कम से फल का निर्धन निर्धन करता है हम भले ही कितने ही घी दिया धूप बत्ती जला लें लेकिन परिणाम हमारे कर्मों से ही मिलता है कबीर कहते हैं।
माला फेरत जुग भया गया न मन का फेर
कन का मनका डारी दे मन का मनका फेर
काम पर जोर-
कथनी मीठी खाड़ सी करनी विष की लोय,
कथनी तज करनी करे विष तज अमृत होया।
दोस्तों यही कारण था कि कबीर को एक समाज सुधारक के रूप में घोषित किया गया है कबीर ने समाधिक एकता पर बोल दिया कबीर जी समय पैदा हुई थी उसे समय समाज में कर्मकांड सती प्रथा बाल विवाह फैला हुआ था कबीर समाज में फैली हुई बुराइयों को खत्म करने का प्रयास किया जो सफल भी हुए।
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