AYODHYA:
अयोध्या भगवान राम की नगरी सूर्यवंशियों की नगरी रामायण की मुख्य पात्र और हिंदू धर्म के भगवान रामचंद्र की जन्मस्थली अयोध्या सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है इसी अयोध्या और भगवान राम के मंदिर को लेकर कई वर्षों तक संघर्ष चला ,22 जनवरी 2024 को भगवान श्री राम का प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
राम मंदिर का इतिहास:
राम मंदिर का इतिहास बहुत ही विवादों वाला रहा है इतिहासकारों का इसमें भिन्न-भिन्न मत पाए जाते हैं कुछ इतिहासकारी से मानते हैं की बाबर ने जब इब्राहिम लोदी को हराया तब उसके सूबेदार ने मीर बाकी ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया।
कुछ इतिहासकार इससे अलग अपना तर्क रखते हैं उनका मानना मस्जिद इब्राहिम लोदी के शासनकाल में ही बनवाया गया था ,इससे संबंधित शिलालेख मस्जिद में लगाया गया था इस शिलालेख का जिक्र अंग्रेज अफसर फ्यूहरर कई जगह किया है।
फ्यूहरर के अनुसार" 1889 तक यह शिलालेख मस्जिद के अंदर रहा"
1853 से 1949 तक इस जगह के आसपास कई दंगे हुए अंग्रेजी प्रशासन ने 1889 में अयोध्या में विवादित स्थान पर बाड लगवा दिए।
और पूजा के लिए अलग-अलग व्यवस्था कर दिए हिंदुओं के लिए बाहर चबूतरे पर और मुसलमान के लिए मस्जिद के अंदर पूजा करने के लिए व्यवस्था कर दिया।
23 दिसंबर 1949 को भगवान राम की मूर्ति मस्जिद के अंदर पाई जाती है यह एक बड़ा विवाद बन जाता है हिंदुओं का मानना था भगवान मंदिर के अंदर स्वयं प्रकट हो गए और मुसलमान यह मानते थे की यह मस्जिद के अंदर किसी हिंदू व्यक्ति ने भगवान राम की मूर्ति को रख दिया है।
उत्तर प्रदेश शासन ने तत्कालीन जिला अधिकारी K.K नायर को मूर्ति हटाने का आदेश दिया लेकिन दंगा भड़काने की आशंका से जिलाधिकारी ने मूर्ति हटाने से मना कर दिया अंततः उत्तर प्रदेश शासन ने विवादित ढांचा पर ताला लगा दिया।
1950 ईस्वी में फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की गई एक याचिका एक राम लाल की दर्शन करने के लिए एवं पूजा करने के लिए छूट से संबंधित था दूसरी याचिका भगवान राम की मूर्ति विवादित ढांचे के अंदर रखने से संबंधित था
1959 ईस्वी में एक और याचिका निर्मोही अखाड़ा ने दाखिल कर दिया।
इस प्रकार अयोध्या में विवादित ढांचे के लिए कानून की लड़ाई की शुरुआत हो गई इस्लाम धर्मावलंबी पक्ष के लोगों ने भी याचिका दाखिल किया।
1961 में युपी सुन्नी वक्फ बाोर्ड ने याचिका दाखिल कर दी।
1984 में विश्व हिंदू परिषद ने विवादित ढांचे वाले स्थान पर मंदिर बनाने के लिए एक अपनी समिति बनाई और मंदिर निर्माण के लिए प्रयास भी करने लगे ।
साल 1986 में उस पांडे की याचिका पर फैजाबाद की जिला न्यायालय ने हिंदू धर्मावलंबियों को पूजा करने की छूट प्रदान कर दिया।
6 दिसंबर 1992 अयोध्या में विवादित ढांचे की इतिहास के लिए इतिहास बन गया इस दिन विश्व हिंदू परिषद और शिवसेना तथा अन्य हिंदू संगठनों ने विवादित ढांचे को गिरा दिया विवादित ढांचा गिरने के बाद सांप्रदायिक होने लगे और कई लोगों की जान चली गईं।
प्रयागराज हाई कोर्ट का फैसला:(2010)
प्रयागराज हाई कोर्ट नें विवादित भूमि को तीन भागों में बांट दिया रामलला विराजमान,सुन्नी वक्फ बार्ड, और निर्मोही अखाड़ा के बिच में।
सुप्रिम कोर्ट नें रोक लगाया:
2011 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दिया।
2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ सेटलमेंट करने का आह्वान क्या
2 अगस्त 2019ई० को सुप्रिम कोर्ट नें कहा की मध्य सती कर रहे पैनल ने हल नही निकाल पाया विवादित ढांचे का।
6अगस्त2019से सुप्रिम कोर्ट लगातार सुनवाई तरता है अयोध्या के विवादित ढांचे की केश का।
9नवंबर2019:
सुप्रिम कोर्ट के पांच जज अपना फैसला सुना देते है 2.77 एकड़ जमीन हिन्दू पक्ष को दे दिया जाता है ़और मुस्लिम पक्ष को 5एकड़ जमीन अलग से मुहैया कराने के लिये कहा जाता है।
इस प्रकार हम अयोध्या के विवादित ढांचा को समझ पाए दोस्तों कितने ही संघर्षों के बाद यह भगवान श्री राम का मंदिर बनकर तैयार हुआ तो 22 जनवरी 2024 भगवान राम का प्राण प्रतिष्ठा का जन्मदिन है इस दिन अयोध्या में फिर से रामलाल का प्रमाण प्रतिष्ठा होगा आप लोगों को हमारा यह विश्लेषण कैसा लगा जरूर बताइएगा आपके कमेंट बॉक्स से ही आने वाले समय में अन्य आर्टिकल और कंटेंट निर्धारित करने में हमें सहायता मिलती है
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