Maldives को महंगा पड़ा भारत से पंगा , अर्थव्यवस्था डगमगाया, जानते हुए भी क्यों लिया मालदीव ने पंगा
Maldives India Controversy: भारत मालदीव विवाद दो देशों के बीच अब व्यापक रूप धारण करता जा रहा है सोमवार को भारत सरकार ने मालदीप उच्चायुक्त से मुलाकात किया इसके अलावा मालदीव जाने वाले बहुत से पर्यटकों ने अपनी वीजा को कैंसिल करवा दिया इस प्रकार मालदीव की 70% अर्थव्यवस्था टूरिज्म पर आधारित है विवाद का असर मालदीव के अर्थव्यवस्था पर पड़ना मालदीव के लिए नागरिकों के लिए आर्थिक स्थिति पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।
भारत से कितने पर्यटक मालदीव जाते:
2021 में भारत से कल 2.91लाख पर्यटक मालदीव की यात्रा करने गए 2022 में 2.41 लाख पर्यटक यात्रा करने गए इस प्रकार मालदीप के पर्यटन बाजार में 2021 में 23 प्रतिशत और 2022 में 14.4 प्रतिशत भारतीय पर्यटकों का भागीदारी रहा।
नवभारत टाइम्स के रिपोर्ट के अनुसार 2023 में भारत से कल जाने वाले पर्यटकों की संख्या 209198 थी। और रूस से जाने वाले पर्यटकों की संख्या 209146 भारत और रूस को मिला दिया जाए तो 11.01% टूरिज्म में भागीदारी है। चीन तीसरे नंबर पर है मालदीव में टूरिस्ट की भागीदारी में।
मालदीव भारत के बीच कड़वाहट की शुरूआत:
9 सितंबर और 30 सितंबर 2023, मालदीव में चुनाव संपन्न हुआ चुनाव में मालदीव की राजधानी माले के चेयरमैन और नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के उम्मीदवार मोहम्मद मोईजू तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोहिल विपक्ष में खड़ा हुए चुनाव हुआ चुनाव में मोहम्मद मोईजू की पार्टी का नारा था 'India Out ' आउट का अभियान चलाया और भारत विरोधी मुद्दे चुनाव में पूर्व जोर पर उठाया नेशनल पीपुल्स कांग्रे कांग्रेस की ओर से अभियान चलाया गया कि अगर पार्टी जीती है मोहम्मद मौजूद के राष्ट्रपति बनते हैं तो 70%भारतीय सैनिकों को मालदीव से निकाल दिया जाएगा।
चीन से नजदिकियां:
मोहम्मद मोईजू चीन समर्थक माने जाते हैं और भारत के विरोधी माने जाते हैं राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण नवंबर में करते ही राष्ट्रपति कार्यालय से यह अनुरोध जारी किया जाता है की भारतीय सैनिक वापस भारत चले जाएं।
मालदीव के विदेश मंत्रालय ने सफाई दिया:
मालदीव के तीनों उप मंत्रियों किए गए सोशल मीडिया पर पोस्ट के लिए बयान जारी कर दिया और कहां की यहां मंत्रियों का व्यक्तिगत राय है इसे सरकार की राय को ना जोड़ा जाए। और मंत्रियों को भी चेतावनी देते हुए कहा गया कि भविष्य में अगर कोई भी ऐसा हरकत करता है तो अधिकारियों पर कार्रवाई करने से नहीं चूकेंगे।
भारत और मालदीव के संबंध:
1965 में आजादी के बाद मालदीव को मान्यता देने वाले देशों में भारत अग्रणी स्थान पर रहा है 1965 से ही सैन्य रणनीति, पर्यटन ,औद्योगिकी, चिकित्सकीय सांस्कृतिक जरूरत के लिए मालदीव भारत पर आश्रित हैं।
1976 में मालदीप और भारत से सामुद्रिक समझौता के तहत दोनों ने अपने सामुद्रिक सीमा निर्धारण किया।
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन का गठन:
SAARC के संस्थापक भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल गयूम तथा तीसरे मिश्र के राष्ट्रपति कर्नल नासीर थे। दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन संस्थापकों में से हैं इस संस्था का स्थापना दक्षिण एशिया में सामाजिक आर्थिक शांति के लिए एक दूसरे को सहायता करने पर निर्भर था इसकी राजधानी काठमांडू को बनाया गया।
आपरेशन कैक्टस:
मालदीप में भारत का सबसे अहम योगदान कह रहा है। इसमें ऑपरेशन कैक्टस का जिक्र हमेशा होता है। जब श्रीलंका के पीपल लिबरेशन संगठन और मालदीव के विद्रोही 80 विद्रोही सशस्त्र मालदीव की राजधानी माले को कब्जे में ले लिए, तब तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल गयूम ने पाकिस्तान श्रीलंका से सहयोग करने की अपील की लेकिन इन दोनों देशों ने सहयोग करने से साफ इनकार कर दिया अमेरिका ने हालांकि सहयोग करने के लिए हां तो कहा लेकिन यह भी तीन चार दिन या एक हफ्ते बाद सहयोग करने का वादा कर रहा था। इधर विद्रोहियों द्वारा मालदीव की राजधानी माले को कब्जे में ले लिया गया था, अब्दुल गयूम ने अपने पड़ोसी भारत से सहयोग करने की, इस अपील पर भारत की तरफ से 500 सैनिकों की एक बटालियन भेजी गई और सैन्य कार्रवाई किया गया इस कार्रवाई का नाम ऑपरेशन कैक्टस दिया गया इस कार्रवाई में कई भारतीय सैनिक शहीद हो गए और मालदीव की राजधानी को बचा लिया गया।
इस प्रकार हम समझ सकते हैं कि मालदीव भारत पर कितना आश्रित है दोनों का इतिहास भी यही बताता है कि मालदीव्स सैन्य संगठन पर अभी भी कमजोर है एवं भारत की आवश्यकता उसे पड़ती ही रहेगी अंततः हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप उनके मंत्रियों द्वारा किए गए विवाद स्पष्ट टिप्पणी कहीं मालदीप पर भारी न पड़ जाए क्योंकि कैंसिल करते हुए पर्यटकों के टिकट एक चिंता के सबक बने हुए हैं।
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