Sant Ravidas Jayanti: समानता और भाईचारे का संदेश देने वाला महान संत
संत रविदास, 14वीं और 15वीं शताब्दी की एक महान संत थे रविदास कवि और समाज सुधारक के रूप में भारतीय इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे।माघ पूर्णिमा के अवसर पर हम लोग रविदास जयंती मनाते हैं। यह त्यौहार उनके जीवन और शिक्षाओं का स्मरण करने का हमें एक अवसर देता है।
संत रविदास का जन्म:
संत रविदास का जन्म 1376 ईस्वी में वाराणसी में हुआ था। उनका जन्म एक चमार परिवार में हुआ था, जो उसे समय समाज में सबसे निम्न पायदान की जातियों में गिना जाता था। जातीय व्यवस्था से जूझते हुए संत रविदास ने शिक्षा और अपनी रचनात्मकता से समाज को नई दिशा दिया।
संत रविदास ने अपनी रचनाओं में भक्ति, सामानता, भाईचारे और सामाजिक न्याय जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया।
संत रविदास ने निर्गुण भक्ति मार्ग को अपनाया और ईश्वर को प्रेम भक्ति के माध्यम से प्राप्त करने पर बोल दिया। उन्होंने जाति व्यवस्था और अस्प रिश्ता की कट्टर प्रथाओं पर कठोर प्रहार किया उनका कहना था सभी मनुष्य एक ही भगवान के संतान हैं सभी को समान अधिकार और सभी को समान सम्मान मिलना चाहिए।
संत रविदास जयंती का त्यौहार:
संत रविदास जयंती का त्यौहार संपूर्ण भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन लोग संत रविदास के मंदिर में जाते हैं। उनके भजनों का गायन करते हैं। उनकी शिक्षाओं का स्मरण करते हैं। यह त्यौहार हमें संत रविदास से प्रेरणा लेने का अवसर प्रदान करता है और समाज में कुछ करने के लिए प्रेरित करता है।
लिए हम सब मिलकर रविदास जयंती को मनाई और रविदास की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाएं। ताकि एक बेहतर समाज का निर्माण हो सके।
संत रविदास के बारे में आपकी क्या विचार है, कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं।
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