Election Commission Of India: भारत निर्वाचन आयोग और इसके प्रमुख कार्य
परिचय:
भारत निर्वाचन आयोग(Election Commission of India) एक स्वायत्त संवैधानिक निकाय है। इसका प्रमुख कार्य भारत में संघ और राज्य चुनाव की प्रक्रिया को संपन्न करना है।
भारत चुनाव आयोग की स्थापना:
चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को भारत के संविधान के अनुसार किया गया था स्थापना के दिन को अर्थात 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में भारत में मनाया जाता है चुनाव आयोग का सचिवालय दिल्ली में है।
भारत चुनाव आयोग (Election Commission Of India) के प्रमुख कार्य:
यह देश में लोकसभा, राज्यसभा, प्रदेशों में विधानसभा, का चुनाव राष्ट्रपति का चुनाव और उपराष्ट्रपति का चुनाव करवाने के लिए उत्तरदाई होता है।
Note: प्रदेशों में होने वाले चुनाव जैसे उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश राजस्थान उड़ीसा महाराष्ट्र आदि अन्य प्रदेशों में जो ग्राम पंचायत प्रधान और नगर पालिका की चुनाव संपन्न होते हैं इन चुनाव को राज्य चुनाव आयोग के द्वारा संपन्न किया जाता है संविधान में राज्य चुनाव आयोग का अलग से प्रावधान किया गया है।
संवैधानिक प्रावधान:
भारतीय संविधान का भाग XV( अनुच्छेद 324- 329) चुनाव से संबंधित है और इसकी संचालन के लिए एक चुनाव आयोग की स्थापना करता है।
ECI: निर्वाचन आयोग की संरचना
मूल रूप से निर्वाचन आयोग में केवल एक चुनाव आयुक्त थे लेकिन चुनाव आयुक्त संशोधन अधिनियम 1989 के तहत इसके सदस्यों में विस्तार कर दिया गया। वर्तमान में भारत में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त हैं। चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा किया जाता है । चुनाव आयुक्त चुने जाने वाले व्यक्ति के नाम का चुनाव करने के लिए वर्तमान में प्रधानमंत्री लोकसभा में विपक्ष का नेता एक कैबिनेट मंत्री की समिति के द्वारा किया जाता है।
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति और कार्यकाल:
राष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करता है उनका 6 साल का एक निश्चित कार्यकाल होता है या 65 वर्ष की आयु तक( जो पहले लागू हो)
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की समकक्ष दर्जा प्राप्त होता है और उनके समान वेतन और भत्ते मिलते हैं।
चुनाव आयुक्त का निष्कासन:
चुनाव आयुक्त कभी भी त्यागपत्र दे सकते हैं। या उन्हें उनके कार्यकाल के समाप्ति से पहले भी हटाया जा सकता है।
लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद में महाभियोग प्रक्रिया के तहत ही हटाया जा सकता है।
सीमाएं:
संविधान में चुनाव आयोग के सदस्यों की योग्यता (कानूनी, अशैक्षणिक, प्रशासनिक न्याय) तौर पर निर्धारित किया गया है संविधान में चुनाव आयोग के सदस्यों के कार्यकाल स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है संविधान में सेवा सेवानिवृत्त हो रहे चुनाव आयुक्त को सरकार द्वारा किसी और नियुक्ति से वंचित नहीं किया है।
ECI के प्रमुख शक्तियां कार्य प्रशासनिक निर्वहन:
प्रशासनिक संबंधी कार्य:
👉 के परिसीमन आयोग के अधिनियम के अनुसार भारत भर में चुनाव निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण करना मतदान करने के लिए मतदाता सूची तैयार करना और समय-समय पर उसमें संशोधन करना सभी पत्र मतदाता जो अपनी उम्र 18 वर्ष पूर्ण कर चुके हैं नए मतदाता के रूप में पंजीकृत करना।
👉 निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों को पंजीकृत करता है एवं उनके चुनाव चिन्ह को आवंटित करता है।
👉चुनाव आयोग, चुनाव के पहले आदर्श आचार संहिता लागू करके सभी राजनीतिक पार्टियों को चुनाव में समान अवसर प्रदान करता है।
👉 के लिए तिथि का निर्धारण और कार्यक्रम जारी करना चुनाव आयोग का प्रमुख कार्य होता है।
सलाहकार क्षेत्राधिकार और न्यायिक कार्य:
भारत के संविधान के तहत सांसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित सलाहकार का अधिकार निर्वाचन आयोग के पास है। राष्ट्रपति और प्रदेश के मामले में राज्यपाल निर्वाचन आयोग से लिए गए सलाह को मानने के लिए बाध्यकारी होते हैं।
समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट भी चुनाव आयोग से सलाह लिया करता है। जो केस सुप्रीम कोर्ट में जाते हैं। चुनाव प्रत्याशियों के आचरण भ्रष्टाचार आदि से संबंधित।
चुनाव आयोग राजनीतिक पार्टियों के विलय और मान्यता देने से संबंधित विवादों का निपटारा भी करता है।
भारत का चुनाव आयोग भारत के मतदाताओं का सदुपयोग और लोकतंत्र को संचालित करने का एक विशेष संस्थान है आशा करते हैं आपको यह ब्लॉग पसंद आया होगा। अपने राय विचार और सवाल कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं
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