Big Problam Peper Lick: नकल माफियाओं पर कब लगेगी लगाम?
गरीब घर में पैदा हुआ और टैलेंट के सहारे आगे बढ़ने की ललक भला किसी नहीं होगी। हमने भी सोच अपनी प्रतिभा के दम पर हम भी सरकारी नौकरी प्राप्त कर लेंगे। पर हमें क्या पता था सरकारी संस्थान परीक्षा ही ठीक से नहीं करवा पाएंगे?
लोकसभा चुनाव में हमारे राजनेता सभी को नौकरी सभी को न्याय सभी को समान अवसर का हवाला देकर जब भाषण देते थे तो लगता था अब शायद वातावरण बदलेगा और जो योग्य होगा वह परीक्षा प्राप्त करके सरकारी नौकरी प्राप्त कर लेगा।
“पर दोस्तों हालत आज भी वही है मैं तो ठहर उत्तर प्रदेश का हमें तो आदत हो गई है पेपर लीक और परीक्षा कैंसिल होने की समाचार को पढ़ने का ।”
“पढ़ लिख कर बना मास्टर चला नौकरी पाने को धक्का खाकर बना ड्राइवर मिल गया ट्रक चलाने को”
आखिरकार हालात से मजबूर युवा बेरोजगार करेगा भी तो क्या करेगा?
डिग्रियां लेकर जब परीक्षा भवन में अपने सपने को पूरा करने जाता है तो उसे क्या पता की पेपर लीक हो जाएगा।
पेपर लीक की समस्या किसी एक प्रदेश की नहीं है बल्कि केंद्र और राज्य के प्रदेश सरकारों में हर जगह देखने को मिल रही हैं। सरकार चाहे भारतीय जनता पार्टी का हो या कांग्रेस का यह सरकारी क्यों नहीं पेपर लिख के मामले को रोक पा रहीं हैं।
“क्या नकल माफिया इतने बड़े हो गए हैं कि सरकारें उनको रोक नहीं पा रही हैं।
NEET एंट्रेंस को देने वाले छात्र नकल माफियाओं की कल का कारनामों की शिकार हो गए।
कुछ समय पहले तो हमारे शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान जी मानते नहीं थे की परीक्षा में कुछ गड़बड़ी हुई है। पर उनकी लेटेस्ट बयान के अनुसार उन्होंने भी स्वीकार कर लिया है कि नीट परीक्षा में गड़बड़ियां हुई थी।
Ro,ARO और उत्तर प्रदेश पुलिस परीक्षा में पेपर लीक होने के कारण परीक्षा को रद्द करना पड़ा था। अपने सपनों को लेकर परीक्षा केंद्र पर पहुंचने वाले बेरोजगार युवाओं की दिल पर एक कुठाराघात के समान यह पेपर कैंसिल होने के बाद लगा। जब भारत निर्वाचन आयोग संपूर्ण भारत में लोकसभा का चुनाव और विधानसभा का चुनाव आसानी से शांतिपूर्वक बिना बूथ कैप्चरिंग की करवा सकता है। फिर क्यों कोई कंपटीशन परीक्षा बिना नकल के संपन्न नहीं हो पा रहा है या बिना पेपर बिना पेपर लीक हुए नहीं हो पा रहा है।
इंटर पास करने के बाद एक बालक बौद्धिक रूप से कितना परिपूर्ण होगा आप समझ सकते हैं उनको हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के झंझट से भी गुजरना होगा यह सोच भी नहीं होगा। अब हिंदुस्तान में परीक्षा में पेपर लीक होने की ट्रेंड ऐसे बन गए हैं कि कोई बालक यह सोच भी नहीं पा रहा कि आगे उसका भविष्य क्या होगा क्या?उसने नौकरी का सपना देखकर कोई गुनाह कर दिया।
इसके अलावा एनआईओएस डीएलएड प्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षित करने का एक कार्यक्रम था कार्यक्रम तो पूर्ण हो गया लेकिन इस डिग्री को सामान्य कर दिया गया सुप्रीम कोर्ट से ऐसे 18 मा का डिग्री करवाने का क्या फायदा जिसे अमान्य कर दिया गया हो सरकार से अनुरोध है इस पर भी ध्यान दिया जाए और इस 18 माह के डीएलएड कोर्स मान्यता दिलवाने का कार्य किया जाए।
पेपर रटवानी का पैसा लिया जाता था तो सोचिए यह कितना शर्मनाक है। बिहार में जिन लोगों पर एफआईआर दर्ज हुआ है उन लोगों ने भी अब कबूल कर लिया है। पेपर ली के मामलों को। देखते हैं हमारे शिक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री एवं एनडीए सरकार क्या फैसला करती है।
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