Poetry hindi :लाचार विद्यार्थी पेपर लीक की समस्या
लाचारी में जीवन की आशा
अंधियारा सा छाया है।
अपने भी अब नहीं पूछते,
स्वार्थ जग में छाया है।
राजू, बबलू, टिंकू, डब्लू,
पैसे के दम पा गये नौकरी।
हम सोचे थे पढ़कर मां-बाप का नाम बढ़ाएंगे,
पर पेपर की लेक की घटना मेरे सपनों को तोड़ दिया।
सत्ता के सिंहासन परचेहरे का आना जानाचेहरे का आना जाना है,
पेपर चोरी में सब ने इतिहास बनाया है।
क्या सत्ताके संरक्षण में पेपर चोरी होता है,
चोरी करने वाला कैसे फिर चोरी कर पता है।
हम गरीब हैं क्या इसी की सजा हम पाते है,
जो पैसा दे नौकरी उसका करीब, गरीब रह जाता है।
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