69000 Shikshak Bharti: फैसला लागू करनें का किया मांग,प्रदर्शन जारी
उत्तर प्रदेश में 69,000 शिक्षक भर्ती मामला पिछले कई सालों से सुर्खियों में रहा है। इस मामले में उठे सवाल और संदेह न केवल उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित कर रहे थे, बल्कि उन लाखों युवाओं की उम्मीदों को भी धक्का पहुंचा रहे थे जो इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए थे। हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इस मामले में बड़ा फैसला सुनाया, जिससे न्याय की उम्मीद फिर से जाग उठी है।
क्या था 69,000 शिक्षक भर्ती मामला?
उत्तर प्रदेश में 2018 में 69,000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए एक परीक्षा आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में लाखों अभ्यर्थियों ने भाग लिया था, लेकिन इसके बाद ही यह मामला विवादों में आ गया। आरक्षण नियमों के पालन में अनियमितताओं, चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी, और कई अन्य मुद्दों के चलते यह मामला अदालत तक पहुंच गया। उम्मीदवारों का आरोप था कि मेरिट लिस्ट बनाने में गलतियां की गई हैं और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ न्याय नहीं हुआ है।
हाईकोर्ट का फैसला
लंबी सुनवाई के बाद, इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने हाल ही में इस मामले में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने सरकार द्वारा जारी की गई मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया और नए सिरे से मेरिट लिस्ट तैयार करने का आदेश दिया। कोर्ट ने सरकार को तीन महीने के भीतर नई मेरिट लिस्ट जारी करने का निर्देश दिया है, जिससे सभी अभ्यर्थियों को न्याय मिल सके।
अभ्यर्थियों का प्रदर्शन
फैसले के बाद, आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने लखनऊ में बेसिक शिक्षा निदेशालय के सामने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। वे मांग कर रहे हैं कि हाईकोर्ट के आदेश को जल्द से जल्द लागू किया जाए और उन्हें न्याय दिलाया जाए। उनका कहना है कि इस फैसले के बाद सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए और नियुक्ति प्रक्रिया को तेजी से पूरा करना चाहिए ताकि उनकी लंबे समय से चली आ रही प्रतीक्षा समाप्त हो सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिक्रिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कोर्ट के आदेश का पूरी तरह से पालन करेगी और नई मेरिट लिस्ट तैयार करने के निर्देश भी दे दिए हैं। मुख्यमंत्री ने इस मामले में न्यायपूर्ण समाधान की बात कही और अभ्यर्थियों को आश्वासन दिया कि उनकी शिकायतों को ध्यान में रखा जाएगा।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे अभ्यर्थियों की संयुक्त जीत बताया और कहा कि यह भाजपा सरकार की गलत नीतियों और भ्रष्टाचार का परिणाम है। अखिलेश यादव ने कहा कि नई मेरिट लिस्ट न्यायपूर्ण होनी चाहिए ताकि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।
निष्कर्ष
69,000 शिक्षक भर्ती मामला एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है, जो न्याय की ओर बढ़ता हुआ एक कदम है। इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला इस बात की ओर इशारा करता है कि न्यायपालिका ने अभ्यर्थियों की समस्याओं को गंभीरता से लिया है और उन्हें न्याय दिलाने का प्रयास किया है। अब देखना यह है कि राज्य सरकार किस प्रकार से इस आदेश का पालन करती है और नई मेरिट लिस्ट कितनी पारदर्शी और निष्पक्ष होती है।
अभ्यर्थियों की उम्मीदें अब नई मेरिट लिस्ट पर टिकी हैं। यह मामला यह भी सिखाता है कि किसी भी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता कितनी महत्वपूर्ण होती है, खासकर जब बात शिक्षा और रोजगार की हो। उम्मीद है कि यह मामला अन्य भर्ती प्रक्रियाओं के लिए भी एक मिसाल बनेगा और भविष्य में ऐसी अनियमितताओं से बचा जा सकेगा।
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