UP BEd NEWS: BEd से हुआ मोह भंग,क्यों नही करना चाहता कोई BEd
उत्तर प्रदेश में बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन) में प्रवेश का ग्राफ पिछले कुछ वर्षों में लगातार गिरता जा रहा है। इस प्रवृत्ति को और अधिक गंभीरता से तब महसूस किया गया जब 11 अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसके अनुसार अब केवल बीटीसी (डीएलएड) डिप्लोमा धारक ही प्राथमिक कक्षाओं (लेवल-1) में पढ़ाने के पात्र होंगे। यह निर्णय बीएड के प्रति छात्रों के रुझान को और कम कर रहा है।
बीएड में प्रवेश की वर्तमान स्थिति:
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और उसका असर:
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया कि बीएड धारक अब प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए आवेदन नहीं कर सकते। यह निर्णय उन छात्रों के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है, जो बीएड की डिग्री के माध्यम से प्राथमिक शिक्षक बनना चाहते थे। इस निर्णय का प्रभाव तत्काल दिखाई दिया, जब बीएड काउंसलिंग में सम्मिलित होने वाले छात्रों की संख्या में बड़ी गिरावट दर्ज की गई।
बीएड में प्रवेश की वर्तमान स्थिति:
विशेषज्ञों की राय:
अमर उजाला वेबसाइट के अनुसार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने भी इस बात की पुष्टि की है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीएड में दाखिले में गिरावट आई है। उन्होंने यह भी कहा कि इस सत्र में दाखिलों का आंकड़ा एक लाख से ऊपर पहुंचना भी मुश्किल लग रहा है। सरकारी कॉलेजों में प्रवेश लेने के लिए छात्रों की रुचि अधिक है, लेकिन निजी कॉलेजों में दाखिलों की संख्या बहुत कम हो गई है। इसका मुख्य कारण निजी कॉलेजों में उच्च फीस है, जिसे छात्र वहन करने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
बीएड में प्रवेश के गिरते ग्राफ को देखते हुए यह स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने छात्रों के रुझान को प्रभावित किया है। बीएड की डिग्री की उपयोगिता पर छात्रों के मन में सवाल खड़े हो रहे हैं, विशेष रूप से उन छात्रों के लिए जो प्राथमिक स्तर पर शिक्षक बनने की इच्छा रखते थे। अगर यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो भविष्य में बीएड संस्थानों और शिक्षा नीति पर भी इसका दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।
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