बिश्नोई समाज के 29 नियम: पर्यावरण, समाज और जीवन के संरक्षण का आदर्श
बिश्नोई पंथ का इतिहास
बिश्नोई समाज की स्थापना 1485 में गुरु जंभेश्वर (जाम्भोजी) द्वारा राजस्थान के बीकानेर क्षेत्र के मुकाम गांव में की गई थी। गुरु जंभेश्वर का जन्म 28 अगस्त 1451 को नागौर जिले के पीपासर गांव में हुआ था। उन्होंने जीवन के हर पहलू को लेकर 29 नियम बनाए, जिनका उद्देश्य पर्यावरण, समाज, और आत्मिक उत्थान था। ये नियम न केवल बिश्नोई समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक संतुलन के प्रतीक भी हैं।2.पांच दिन ऋतुवन्ती स्त्री का गृहकार्य से पृथक रहना – माहवारी के दौरान स्त्री को 5 दिन आराम करना।
3.प्रतिदिन सवेरे स्नान करना – शरीर की शुद्धि और पवित्रता के लिए प्रतिदिन स्नान करना।
4.शील का पालन करना व संतोष रखना – शील और संतोष का पालन कर जीवन में संतुलन बनाए रखना
5.बाह्य और आन्तरिक पवित्रता रखना – आचरण और शरीर की पवित्रता बनाए रखना।
6.द्विकाल संध्या-उपासना करना – सुबह और शाम नियमित रूप से संध्या-उपासना करना।
7.संध्या समय आरती और हरिगुण गाना – संध्या के समय भगवान के गुण गाना और आरती करना।
8.निष्ठा और प्रेमपूर्वक हवन करना – शुद्ध ह्रदय से हवन कर पवित्रता बनाए रखना।
9.पानी, ईंधन और दूध को छान कर प्रयोग में लेना – शुद्धता के लिए इन सामग्रियों को छानकर उपयोग करना।
10.वाणी विचार कर बोलना – सदैव सोच-समझकर और मधुर वाणी में बोलना।
11.क्षमा और दया धारण करना – क्षमा और दया का भाव रखते हुए जीवन जीना।
12.चोरी नहीं करनी – जीवन में ईमानदारी से रहना और किसी प्रकार की चोरी न करना।
13.निन्दा नहीं करनी – किसी की निंदा न करना और सदैव सकारात्मक सोच रखना।
14.झूठ नहीं बोलना – जीवन में सत्य को धारण करना और झूठ से दूर रहना।
15.वाद-विवाद का त्याग करना – अनावश्यक विवादों से दूर रहना और शांति बनाए रखना।
16.अमावस्या का व्रत रखना – हर अमावस्या पर उपवास रखना।
17.विष्णु का भजन करना – भगवान विष्णु का भजन और आराधना करना।
18.जीव दया पालनी – सभी जीवों पर दया रखना और उनकी रक्षा करना।
19.हरा वृक्ष नहीं काटना – हरे-भरे पेड़ों की रक्षा करना और उन्हें न काटना।
20.काम, क्रोध आदि अजरों को वश में करना – काम, क्रोध, लोभ, मोह को नियंत्रण में रखना।
21.रसोई अपने हाथ से बनानी – अपनी रसोई के कार्य खुद करना।
22.थाट अमर रखना – धार्मिक परंपराओं को जीवनभर निभाना।
23.बैल बधिया नहीं कराना – बैलों के बधियाकरण से बचना।
24.अमल नहीं खाना – किसी भी प्रकार के मादक पदार्थ का सेवन न करना।
25.तम्बाकू का सेवन नहीं करना – तम्बाकू का त्याग करना।
26.भांग नहीं पीना – भांग का सेवन नहीं करना।
27.मद्यपान नहीं करना – शराब और अन्य मादक पेय से दूर रहना।
28.मांस नहीं खाना – मांसाहार का परहेज करना।
29.नीला वस्त्र और नील का त्याग करना – नीले वस्त्र और नील (इंडिगो) का त्याग करना।
बिश्नोई समाज और प्रकृति संरक्षण
बिश्नोई समाज जीवों की सुरक्षा और पर्यावरण के संरक्षण में अद्वितीय भूमिका निभाता है। उनका मानना है कि प्रकृति और जीव-जंतुओं की रक्षा करना मानव धर्म है। यही कारण है कि समाज के लोग हिरणों और अन्य वन्य जीवों की रक्षा करते हैं, यहां तक कि कई बार अपनी जान तक दे देते हैं। 1730 में खेजड़ली गांव में 363 बिश्नोई समाज के लोगों ने हरे पेड़ों को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।सलमान खान और काला हिरण विवाद
1998 में सलमान खान पर जोधपुर में काले हिरण के शिकार का आरोप लगा। बिश्नोई समाज के लिए काला हिरण पूजनीय है, और इसे मारना उनके 29 नियमों का उल्लंघन था। बिश्नोई समाज ने सलमान खान पर 9 नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया, जिनमें जीव दया, मांसाहार और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े नियम शामिल हैं। इस विवाद के बाद, सलमान खान को जेल भी जाना पड़ा, और यह मामला आज भी बिश्नोई समाज के लिए गंभीर विषय है।निष्कर्ष
बिश्नोई समाज के 29 नियम जीवन, समाज, और पर्यावरण के आदर्श संतुलन को दर्शाते हैं। ये नियम न केवल धार्मिक सिद्धांत हैं, बल्कि वे प्रकृति और जीवों के संरक्षण का भी संदेश देते हैं। सलमान खान का काला हिरण विवाद इस पंथ की संवेदनशीलता को दर्शाता है और बिश्नोई समाज के लिए उनके नियमों का उल्लंघन एक गंभीर अपराध माना जाता है। बिश्नोई समाज ने सदैव अपने नियमों के पालन के लिए संघर्ष किया है, और यह समाज आने वाले समय में भी पर्यावरण और जीवों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।
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