भारत में अत्यधिक गरीबी:चुनौतियाँ और उम्मीदें,क्यों नहीं मिट पा रही है गरीबी
World Bank report on poverty in India के अनुसार, भारत ने पिछले कुछ दशकों में गरीबी उन्मूलन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। 1990 में भारत में लगभग 43.1 करोड़ लोग अत्यधिक गरीबी में जीवन बिता रहे थे, लेकिन 2024 तक यह संख्या घटकर 12.9 करोड़ रह गई है। हालांकि, यह प्रगति सराहनीय है, फिर भी बड़ी आबादी अभी भी प्रतिदिन 181 रुपये (2.15 डॉलर) से कम आमदनी पर जीवन यापन कर रही है, जिसे अत्यधिक गरीबी माना जाता है।
गरीबी उन्मूलन की मौजूदा चुनौतियाँ
World Bank report on poverty in India के अनुसार, वैश्विक गरीबी उन्मूलन की रफ्तार धीमी बनी हुई है। रिपोर्ट बताती है कि 1990 की तुलना में 2024 में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले भारतीयों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि मौजूदा गति के साथ दुनिया से गरीबी समाप्त करने में एक सदी से भी अधिक का समय लग सकता है।
मध्य आय वाले देशों में गरीबी का नया मानक
रिपोर्ट में World Bank ने मध्य आय वाले देशों के लिए गरीबी की नई सीमा प्रतिदिन 576 रुपये (6.85 डॉलर) तय की है। इस नए मानक के अनुसार, भारत जैसे मध्य आय वाले देशों में गरीबी की स्थिति और गंभीर दिखाई देती है। World Bank report on poverty in India के अनुसार, आज भी दुनिया की 44% आबादी इस गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है।
अफ्रीका में बढ़ती गरीबी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि उप-सहारा अफ्रीका और अन्य विकासशील देशों में गरीबी की स्थिति गंभीर बनी हुई है। World Bank report on poverty in India के अनुसार, इन क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन की धीमी गति के कारण 2030 तक वैश्विक गरीबी समाप्त करना एक कठिन लक्ष्य बना हुआ है।
भारत का भविष्य: एक आशा
भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत यह है कि आगामी वर्षों में आर्थिक प्रगति के साथ अत्यधिक गरीबी में और कमी आने की उम्मीद है। World Bank report on poverty in India के अनुसार, 2030 तक भारत की अत्यधिक गरीबी दर शून्य तक पहुंच सकती है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी, हालांकि वैश्विक गरीबी उन्मूलन अभी भी एक चुनौती बना हुआ है।
निष्कर्ष
भारत ने पिछले तीन दशकों में गरीबी उन्मूलन की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन चुनौतियाँ अब भी बरकरार हैं। World Bank report on poverty in India के अनुसार, जनसंख्या वृद्धि, आर्थिक असमानताएँ, और वैश्विक परिस्थितियाँ गरीबी उन्मूलन की राह में प्रमुख बाधाएँ हैं। यदि भारत अपनी नीतियों को और अधिक सशक्त करता है और गरीबों के लिए बेहतर योजनाओं को लागू करता है, तो वह आने वाले वर्षों में गरीबी को और अधिक नियंत्रित कर सकता है।
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