जीवन की कड़वी सच्चाई
जीवन की कड़वी सच्चाई
जब समय बीच आ जाती है ,
तब मित्र ,मित्र नहीं रहते ,
सब हाल पूछ रह जाते है।
सब मन भरनें को अपने हैं,
दूख के दिन में सब सपने है।
जेब अपने पैसे थे तो माँ प्यार से बात करे,
पा-पा का प्यार भी नहीं करते जब पास नहीं कुछ पैसें हो
दर- दर ़भटक भटक कर मैं
एक भी नौकरी ना पाया,
बिन पैसे का हू मैं बेसहारा
मां बाप का प्यार भी ना पाया।
विनोद कुमार
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