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गीता का उपदेश सुनानें बोलो आओगे कब (कविता)

 गीता का उपदेश सुनानें बोलो आओगे कब     (कविता) गीत का उपदेश सुनानें बोलो आओगे कब रण में पाण्डव को समझानें कान्हा आओगे कब, लुट रही है अब द्रोपदी घर आंगन चौराहे पर, चीर हरण अब सान बन गया बड़े-बड़े सुरमाओं का।      माँ बेटी बेर्शम हो गईं नृत्य करें अब रीलों पर,    कई दामिनीं जंग हारती दिल्ली के दरबारों मे।                         दोस्तो इस कविता पर अपनीं प्रतिक्रिया अवश्य भेजें***                                विनोद कुमार