Hindi New Kavita: हर सुबह रोटी के लिए दौड़ पड़ती है जिंदगी,रोटी की कीमत हर सुबह रोटी के लिए दौड़ पड़ती है जिंदगी पर हर शाम मायुस होकर लौटी है ज़िंदगी, रोटी के लिए इंसा दर-दर रहा भटक, रोटी के आस में सांसे गई अटक, रोटी ने हमें दर-दर है घुमाया, रोटी नहीं कमाया तो नालायक हो गया, था मां लाडला अब पराया हो गया। रोटी के लिए पैसा ही महान हो गया, इस पैसे की पीछे इंसान गुलाम हो गया। दोस्तों मैं विनोद कुमार आपसे निवेदन करता हूं कि आप मुझे कुछ आर्थिक मदद देकर, एक स्वतंत्र बराबर के रूप में हमारे हाथों को मजबूत करें। हम जैसे ब्लॉगर गरीब घर में पैदा होकर आर्थिक रूप से कमजोर होकर मजदूरी करने पर मजबूर हो जाते हैं हम आपसे निवेदन करते हैं कि आप हमें कुछ आर्थिक सहयोग करें, नीचे मैं अपना अकाउंट नंबर दे रहा हूं। Account Number -003320391150471